जब अकेला रहा तो उसकी याद आई
माँ ने बड़े प्यार से आँखों में लगाया था काजल ।
यादें उसकी गले लगाकर बढ़ते रहते पग अविरल।।
बीहड़ में वह फूल खिलाती, टांके चुनर में तारे।
उसके कदमों की आहट से, होते मन में उजियारे।।
अब अतीत बनकर परछाई, रहता हरदम हृदय-पटल।
माँ ने बड़े प्यार से आँखों में लगाया था काजल।।
सर्द रात का कंबल थी वह ,रिमझिम ऋतु का थी छाता।
इतने सारे बालक जग में ,उसको बस मैं ही भाता।।
जब- जब धूप बढ़ी जीवन की, बनी प्रीति का वह बादल।
माँ ने बड़े प्यार से आँखों में लगाया था काजल।।
गर्म भात के जैसी थी वो, गर्मी में शरबत जैसी।
धीरज उसका धरती जैसा,अविचल थी पर्वत जैसी।।
उसकी सीखें अनुभव पूरित, करना रे मन सदा अमल।
माँ ने बड़े प्यार से आँखों में लगाया था काजल।।
राजा बेटा कहकर मुझको, अंक बिठाती थी माई।
उसकी गोदी में आकर, सपने लेते थे अंगड़ाई।।
कभी नरम है कभी सख्त है, लेती कितने रूप बदल।
माँ ने बड़े प्यार से आँखों में लगाया था काजल।।
प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 09:11 PM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Varsha_Upadhyay
22-Jul-2023 07:01 PM
बहुत खूब
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